Jay Shree Krishna
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अलससà¥à¤¯ कà¥à¤¤à¥‹ विदà¥à¤¯à¤¾, अविदà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¯ कà¥à¤¤à¥‹ धनमॠ| अधनसà¥à¤¯ कà¥à¤¤à¥‹ मितà¥à¤°à¤®à¥, अमितà¥à¤°à¤¸à¥à¤¯ कà¥à¤¤à¤ƒ सà¥à¤–मॠ|| अरà¥à¤¤à¥ : आलसी को विदà¥à¤¯à¤¾ कहाठअनपॠ/ मूरà¥à¤– को धन कहाठनिरà¥à¤§à¤¨ को मितà¥à¤° कहाठऔर अमितà¥à¤° को सà¥à¤– कहाठ|
शà¥à¤²à¥‹à¤• 2 आलसà¥à¤¯à¤‚ हि मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾à¤‚ शरीरसà¥à¤¥à¥‹ महानॠरिपà¥à¤ƒ | नासà¥à¤¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¥à¤¯à¤®à¤¸à¤®à¥‹ बनà¥à¤§à¥à¤ƒ कृतà¥à¤µà¤¾ यं नावसीदति || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीर में रहने वाला आलसà¥à¤¯ ही ( उनका ) सबसे बड़ा शतà¥à¤°à¥ होता है | परिशà¥à¤°à¤® जैसा दूसरा (हमारा )कोई अनà¥à¤¯ मितà¥à¤° नहीं होता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि परिशà¥à¤°à¤® करने वाला कà¤à¥€ दà¥à¤–ी नहीं होता
शà¥à¤²à¥‹à¤• 3 : यथा हà¥à¤¯à¥‡à¤•à¥‡à¤¨ चकà¥à¤°à¥‡à¤£ न रथसà¥à¤¯ गतिरà¥à¤à¤µà¥‡à¤¤à¥ | à¤à¤µà¤‚ परà¥à¤·à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤£ विना दैवं न सिदà¥à¤§à¥à¤¯à¤¤à¤¿ || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : जैसे à¤à¤• पहिये से रथ नहीं चल सकता है उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बिना पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ के à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ सिदà¥à¤§ नहीं हो सकता है |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 4 : बलवानपà¥à¤¯à¤¶à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤½à¤¸à¥Œ धनवानपि निरà¥à¤§à¤¨à¤ƒ | शà¥à¤°à¥à¤¤à¤µà¤¾à¤¨à¤ªà¤¿ मूरà¥à¤–ोऽसौ यो धरà¥à¤®à¤µà¤¿à¤®à¥à¤–ो जनः || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ धरà¥à¤® ( करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ ) से विमà¥à¤– होता है वह ( वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ) बलवानॠहो कर à¤à¥€ असमरà¥à¤¥, धनवानॠहो कर à¤à¥€ निरà¥à¤§à¤¨ तथा जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हो कर à¤à¥€ मूरà¥à¤– होता है |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 5 : जाडà¥à¤¯à¤‚ धियो हरति सिंचति वाचि सतà¥à¤¯à¤‚, मानोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿à¤‚ दिशति पापमपाकरोति | चेतः पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦à¤¯à¤¤à¤¿ दिकà¥à¤·à¥ तनोति कीरà¥à¤¤à¤¿à¤‚, सतà¥à¤¸à¤‚गतिः कथय किं न करोति पà¥à¤‚सामॠ|| अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥: अचà¥à¤›à¥‡ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का साथ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ की जड़ता को हर लेता है,वाणी में सतà¥à¤¯ का संचार करता है, मान और उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ को बà¥à¤¾à¤¤à¤¾ है और पाप से मà¥à¤•à¥à¤¤ करता है | चितà¥à¤¤ को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करता है और ( हमारी )कीरà¥à¤¤à¤¿ को सà¤à¥€ दिशाओं में फैलाता है |(आप ही ) कहें कि सतà¥à¤¸à¤‚गतिः मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का कौन सा à¤à¤²à¤¾ नहीं करती |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 6 : चनà¥à¤¦à¤¨à¤‚ शीतलं लोके,चनà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤¦à¤ªà¤¿ चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾à¤ƒ | चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤šà¤¨à¥à¤¦à¤¨à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤®à¤§à¥à¤¯à¥‡ शीतला साधà¥à¤¸à¤‚गतिः || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : संसार में चनà¥à¤¦à¤¨ को शीतल माना जाता है लेकिन चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ चनà¥à¤¦à¤¨ से à¤à¥€ शीतल होता है | अचà¥à¤›à¥‡ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ का साथ चनà¥à¤¦à¥à¤° और चनà¥à¤¦à¤¨ दोनों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अधिक शीतलता देने वाला होता है
शà¥à¤²à¥‹à¤• 7 : अयं निजः परो वेति गणना लघॠचेतसामॠ| उदारचरितानां तॠवसà¥à¤§à¥ˆà¤µ कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¤®à¥ | अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : यह मेरा है,यह उसका है ; à¤à¤¸à¥€ सोच संकà¥à¤šà¤¿à¤¤ चितà¥à¤¤ वोले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की होती है;इसके विपरीत उदारचरित वाले लोगों के लिठतो यह समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ धरती ही à¤à¤• परिवार जैसी होती है |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 8 : अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤¦à¤¶ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‡à¤·à¥ वà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¸à¥à¤¯ वचनदà¥à¤µà¤¯à¤®à¥ | परोपकारः पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾à¤¯ पापाय परपीडनमॠ|| अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : महरà¥à¤·à¤¿ वेदवà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी ने अठारह पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में दो विशिषà¥à¤Ÿ बातें कही हैं | पहली –परोपकार करना पà¥à¤£à¥à¤¯ होता है और दूसरी — पाप का अरà¥à¤¥ होता है दूसरों को दà¥à¤ƒà¤– देना |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 9 : शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤‚ शà¥à¤°à¥à¤¤à¥‡à¤¨à¥ˆà¤µ न कà¥à¤‚डलेन, दानेन पाणिरà¥à¤¨ तॠकंकणेन, विà¤à¤¾à¤¤à¤¿ कायः करà¥à¤£à¤¾à¤ªà¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤‚, परोपकारैरà¥à¤¨ तॠचनà¥à¤¦à¤¨à¥‡à¤¨ || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ :कानों की शोà¤à¤¾ कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¥‹à¤‚ से नहीं अपितॠजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की बातें सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ से होती है | हाथ दान करने से सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ होते हैं न कि कंकणों से | दयालॠ/ सजà¥à¤œà¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का शरीर चनà¥à¤¦à¤¨ से नहीं बलà¥à¤•à¤¿ दूसरों का हित करने से शोà¤à¤¾ पाता है |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 10 : पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¸à¥à¤¥à¤¾ तॠया विदà¥à¤¯à¤¾,परहसà¥à¤¤à¤—तं च धनमॠकारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥‡ समà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ªà¤¨à¥à¤¨à¥‡ न सा विदà¥à¤¯à¤¾ न तदॠधनमॠ|| अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में रखी विदà¥à¤¯à¤¾ तथा दूसरे के हाथ में गया धन—ये दोनों ही ज़रूरत के समय हमारे किसी à¤à¥€ काम नहीं आया करते |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 11 : विदà¥à¤¯à¤¾ मितà¥à¤°à¤‚ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¥‡à¤·à¥,à¤à¤¾à¤°à¥à¤¯à¤¾ मितà¥à¤°à¤‚ गृहेषॠच | वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¤à¤¸à¥à¤¯à¥Œà¤·à¤§à¤‚ मितà¥à¤°à¤‚, धरà¥à¤®à¥‹ मितà¥à¤°à¤‚ मृतसà¥à¤¯ च अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : जà¥à¤žà¤¾à¤¨ यातà¥à¤°à¤¾ में,पतà¥à¤¨à¥€ घर में, औषध रोगी का तथा धरà¥à¤® मृतक का ( सबसे बड़ा ) मितà¥à¤° होता है |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 12 : सहसा विदधीत न कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤®à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤•à¤ƒ परमापदां पदमॠ| वृणते हि विमृशà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤£à¤‚ गà¥à¤£à¤²à¥à¤¬à¥à¤§à¤¾à¤ƒ सà¥à¤µà¤¯à¤®à¥‡à¤µ संपदः || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : अचानक ( आवेश में आ कर बिना सोचे समà¤à¥‡ ) कोई कारà¥à¤¯ नहीं करना चाहिठकयोंकि विवेकशूनà¥à¤¯à¤¤à¤¾ सबसे बड़ी विपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का घर होती है | ( इसके विपरीत ) जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सोच –समà¤à¤•à¤° कारà¥à¤¯ करता है ; गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से आकृषà¥à¤Ÿ होने वाली माठलकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही उसका चà¥à¤¨à¤¾à¤µ कर लेती है |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 13 : ( अरà¥à¤œà¥à¤¨ उवाच ) चंचलं हि मनः कृषà¥à¤£ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¥à¤¿ बलवदà¥à¤¦à¥ƒà¤¢à¤®à¥ | तसà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤‚ निगà¥à¤°à¤¹à¤‚ मनà¥à¤¯à¥‡ वायोरिव सà¥à¤¦à¥à¤·à¥à¤•à¤°à¤®à¥ || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : ( अरà¥à¤œà¥à¤¨ ने शà¥à¤°à¥€ हरि से पूछा ) हे कृषà¥à¤£ ! यह मन चंचल और पà¥à¤°à¤®à¤¥à¤¨ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का तथा बलवानॠऔर दृॠहै ; उसका निगà¥à¤°à¤¹ ( वश में करना ) मैं वायॠके समान अति दà¥à¤·à¥à¤•à¤° मानता हूठ|
शà¥à¤²à¥‹à¤• 14 : (शà¥à¤°à¥€ à¤à¤—वानà¥à¤µà¤¾à¤š ) असंशयं महाबाहो मनो दà¥à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¹à¤‚ चलमॠ| अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‡à¤¨ तॠकौनà¥à¤¤à¥‡à¤¯ वैरागà¥à¤¯à¥‡à¤£ च गृहà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¥‡ || अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : ( शà¥à¤°à¥€ à¤à¤—वानॠबोले ) हे महाबाहो ! निःसंदेह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है लेकिन हे कà¥à¤‚तीपà¥à¤¤à¥à¤° ! उसे अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ और वैरागà¥à¤¯ से वश में किया जा सकता है |
शà¥à¤²à¥‹à¤• 15 : उदà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤¨ हि सिधà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¤¿ कारà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¿ न मनोरथैः न हि सà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¸à¥à¤¯ सिंहसà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¶à¤¨à¥à¤¤à¤¿ मà¥à¤–े मृगाः अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : कोई à¤à¥€ काम कड़ी मेहनत से ही पूरा होता है सिरà¥à¤« सोचने à¤à¤° से नहीं| कà¤à¥€ à¤à¥€ सोते हà¥à¤ शेर के मà¥à¤‚ह में हिरण खà¥à¤¦ नहीं आ जाता|
शà¥à¤²à¥‹à¤• 16 : दयाहीनं निषà¥à¤«à¤²à¤‚ सà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤¨à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤¿ धरà¥à¤®à¤¸à¥à¤¤à¥ ततà¥à¤° हि । à¤à¤¤à¥‡ वेदा अवेदाः सà¥à¤¯à¥ रà¥à¤¦à¤¯à¤¾ यतà¥à¤° न विदà¥à¤¯à¤¤à¥‡ ॥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : बिना दया के किये गठकाम का कोई फल नहीं मिलता, à¤à¤¸à¥‡ काम में धरà¥à¤® नहीं होता| जहाठदया नही होती वहां वेद à¤à¥€ अवेद बन जाते हैं|
शà¥à¤²à¥‹à¤• 17 : विदà¥à¤¯à¤¾à¤‚ ददाति विनयं विनयादॠयाति पातà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤®à¥ । पातà¥à¤°à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤¤à¥ धनमापà¥à¤¨à¥‹à¤¤à¤¿ धनातॠधरà¥à¤®à¤‚ ततः सà¥à¤–मॠ॥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : विदà¥à¤¯à¤¾ यानि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हमें विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ करता है, विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾ से योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ आती है और योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ से हमें धन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है जिससे हम धरà¥à¤® के कारà¥à¤¯ करते हैं और हमे सà¥à¤– सà¥à¤– मिलता है|
शà¥à¤²à¥‹à¤• 18 : माता शतà¥à¤°à¥à¤ƒ पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।न शोà¤à¤¤à¥‡ सà¤à¤¾à¤®à¤§à¥à¤¯à¥‡ हंसमधà¥à¤¯à¥‡ बको यथा ॥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : जो माता-पिता अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को नहीं पà¥à¤¾à¤¤à¥‡ वे शतà¥à¤°à¥ के सामान हैं| बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सà¤à¤¾ में अनपॠवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¤à¥€ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं पाता, वहां वह हंसों के बीच बगà¥à¤²à¥‡ के समान होता है|
शà¥à¤²à¥‹à¤• 19 : सà¥à¤–ारà¥à¤¥à¤¿à¤¨à¤ƒ कà¥à¤¤à¥‹à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ नासà¥à¤¤à¤¿ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¨à¤ƒ सà¥à¤–मॠ। सà¥à¤–ारà¥à¤¥à¥€ वा तà¥à¤¯à¤œà¥‡à¤¦à¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤‚ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ वा तà¥à¤¯à¤œà¥‡à¤¤à¥ सà¥à¤–मॠ॥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : सà¥à¤– चाहने वाले यानि मेहनत से जी चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वालों को विदà¥à¤¯à¤¾ कहाठमिल सकती है और विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ को सà¥à¤– यानि आराम नहीं मिल सकता| सà¥à¤– की चाहत रखने वाले को विदà¥à¤¯à¤¾ का और विदà¥à¤¯à¤¾ पाने वाले को सà¥à¤– का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर देना चाहिà¤|
शà¥à¤²à¥‹à¤• 20 : गà¥à¤°à¥à¤°à¥à¤¬à¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤°à¥à¤°à¥à¤µà¤¿à¤·à¥à¤£à¥à¤ƒ गà¥à¤°à¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µà¥‹ महेशà¥à¤µà¤°à¤ƒ । गà¥à¤°à¥à¤ƒ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ परं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® तसà¥à¤®à¥ˆ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¤µà¥‡ नमः ॥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : गà¥à¤°à¥ ही बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ हैं, गà¥à¤°à¥ ही विषà¥à¤£à¥ हैं, गà¥à¤°à¥ ही शंकर है; गà¥à¤°à¥ ही साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ परमबà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हैं; à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤°à¥ का मैं नमन करता हूà¤à¥¤
शà¥à¤²à¥‹à¤• 21 : अगà¥à¤¨à¤¿à¤¨à¤¾ सिचà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤½à¤ªà¤¿ वृकà¥à¤·à¥‹ वृदà¥à¤§à¤¿à¤‚ न चापà¥à¤¨à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥ । तथा सतà¥à¤¯à¤‚ विना धरà¥à¤®à¤ƒ पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤‚ नायाति करà¥à¤¹à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥ ॥ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ : आग से सींचा गठपेड़ कà¤à¥€ बड़े नहीं होते, जैसे सतà¥à¤¯ के बिना धरà¥à¤® की कà¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं होती
Gir Somnath
"DR.MAHADEV PRASAD" ALSO LISTED IN
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हमें इस जीवन में जो à¤à¥€ करना चाहिठसोच समठकर करना चाहिà¤, और सही समय पर करना चाहिà¤à¥¤
Bhagwat Geeta Saar
जो खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¥‡ समय के परिशà¥à¤°à¤® और सिखने से मिलती है, जो दà¥à¤– से अंत दिलाता है, जो पहले विष के सामान होता है, परनà¥à¤¤à¥ बाद में अमृत के जैसा होता है – इस तरह की खà¥à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾à¤ मन की शांति से जागृत होतीं हैं।
Bhagwat Geeta Saar
हमें हमेशा सकारातà¥à¤®à¤• चीजों को देखना चाहिठऔर सकारातà¥à¤®à¤• सोच रखना चाहिठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह हमारे असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को लोगों के सामने वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करता है
Bhagwat Geeta Saar
विदà¥à¤µà¤¤à¥à¤¦à¤¤à¥à¤µà¤‚ कà¥à¤·à¤¤à¤¾ शीलं सङà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤°à¤¨à¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨à¤®à¥ । शिकà¥à¤·à¤•à¤¸à¥à¤¯ गà¥à¤£à¤¾à¤ƒ सपà¥à¤¤ सचेतसà¥à¤¤à¥à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ ॥
à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : विदà¥à¤µà¤¤à¥à¤µ, दकà¥à¤·à¤¤à¤¾, शील, संकà¥à¤°à¤¾à¤‚ति, अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨, सचेततà¥à¤µ, और पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ – ये सात शिकà¥à¤·à¤• के गà¥à¤£ हैं ।
अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तिमिरानà¥à¤§à¤¸à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤žà¥à¤œà¤¨ शलाकया । चकà¥à¤·à¥à¤°à¥à¤¨à¥à¤®à¥€à¤²à¤¿à¤¤à¤‚ येन तसà¥à¤®à¥ˆ शà¥à¤°à¥€ गà¥à¤°à¤µà¥‡ नमः ॥
à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : जिसने जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¾à¤‚जनरà¥à¤ª शलाका से, अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤°à¥à¤ª अंधकार से अंध हà¥à¤ लोगों की आà¤à¤–ें खोली, उन गà¥à¤°à¥ को नमसà¥à¤•à¤¾à¤° ।
गà¥à¤°à¥‹à¤°à¥à¤¯à¤¤à¥à¤° परीवादो निंदा वापिपà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¤à¥‡ । करà¥à¤£à¥Œ ततà¥à¤° विधातवà¥à¤¯à¥‹ गनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤‚ वा ततोऽनà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ ॥
à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : जहाठगà¥à¤°à¥ की निंदा होती है वहाठउसका विरोध करना चाहिठ। यदि यह शकà¥à¤¯ न हो तो कान बंद करके बैठना चाहिà¤; और (यदि) वह à¤à¥€ शकà¥à¤¯ न हो तो वहाठसे उठकर दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर चले जाना चाहिठ।
विनय फलं शà¥à¤¶à¥à¤°à¥‚षा गà¥à¤°à¥à¤¶à¥à¤¶à¥à¤°à¥‚षाफलं शà¥à¤°à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¥ । जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¸à¥à¤¯ फलं विरतिः विरतिफलं चाशà¥à¤°à¤µ निरोधः ॥
à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : विनय का फल सेवा है, गà¥à¤°à¥à¤¸à¥‡à¤µà¤¾ का फल जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का फल विरकà¥à¤¤à¤¿ है, और विरकà¥à¤¤à¤¿ का फल आशà¥à¤°à¤µà¤¨à¤¿à¤°à¥‹à¤§ है ।
यः समः सरà¥à¤µà¤à¥‚तेषॠविरागी गतमतà¥à¤¸à¤°à¤ƒ । जितेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤ƒ शà¥à¤šà¤¿à¤°à¥à¤¦à¤•à¥à¤·à¤ƒ सदाचार समनà¥à¤µà¤¿à¤¤à¤ƒ ॥
à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : गà¥à¤°à¥ सब पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वीतराग और मतà¥à¤¸à¤° से रहित होते हैं । वे जीतेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯, पवितà¥à¤°, दकà¥à¤· और सदाचारी होते हैं ।
à¤à¤•à¤®à¤ªà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤°à¤‚ यसà¥à¤¤à¥ गà¥à¤°à¥à¤ƒ शिषà¥à¤¯à¥‡ निवेदयेतॠ। पृथिवà¥à¤¯à¤¾à¤‚ नासà¥à¤¤à¤¿ तदॠदà¥à¤°à¤µà¥à¤¯à¤‚ यदà¥à¤¦à¤¤à¥à¤µà¤¾ हà¥à¤¯à¤¨à¥ƒà¤£à¥€ à¤à¤µà¥‡à¤¤à¥ ॥
à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : गà¥à¤°à¥ शिषà¥à¤¯ को जो à¤à¤–ाद अकà¥à¤·à¤° à¤à¥€ कहे, तो उसके बदले में पृथà¥à¤µà¥€ का à¤à¤¸à¤¾ कोई धन नहीं, जो देकर गà¥à¤°à¥ के ऋण में से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो सकें । बहवो गà¥à¤°à¤µà¥‹ लोके शिषà¥à¤¯ वितà¥à¤¤à¤ªà¤¹à¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤ƒ ।
कà¥à¤µà¤šà¤¿à¤¤à¥ ततà¥à¤° दृशà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥‡ शिषà¥à¤¯à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¾à¤ªà¤¹à¤¾à¤°à¤•à¤¾à¤ƒ ॥
à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : जगत में अनेक गà¥à¤°à¥ शिषà¥à¤¯ का वितà¥à¤¤ हरण करनेवाले होते हैं;परंतà¥, शिषà¥à¤¯ का चितà¥à¤¤ हरण करनेवाले गà¥à¤°à¥ शायद हि दिखाई देते हैं ।
Bhagwat Geeta Saar
वह जो सà¤à¥€ इचà¥à¤›à¤¾à¤à¤‚ तà¥à¤¯à¤¾à¤— देता है और मैं और मेरा की लालसा और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से मà¥à¤•à¥à¤¤ हो जाता है उसे शांती पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है.
Bhagwat Geeta Saar
कà¥à¤°à¥‹à¤§ से à¤à¥à¤°à¤® पैदा होता है. à¤à¥à¤°à¤® से बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ वà¥à¤¯à¤—à¥à¤° होती है. जब बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ वà¥à¤¯à¤—à¥à¤° होती है तब तरà¥à¤• नषà¥à¤Ÿ हो जाता है. जब तरà¥à¤• नषà¥à¤Ÿ होता है तब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का पतन हो जाता है.
Bhagwat Geeta Saar
गà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤µà¤¨à¥à¤§à¤•à¤¾à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥ रà¥à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤¤à¥‡à¤œ उचà¥à¤¯à¤¤à¥‡ । अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° निरोधतà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥ गà¥à¤°à¥à¤°à¤¿à¤¤à¥à¤¯à¤à¤¿à¤§à¥€à¤¯à¤¤à¥‡ ॥ à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ : गॠकार याने अंधकार, और रॠकार याने तेज जो अंधकार का (जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ देकर) निरोध करता है, वही गà¥à¤°à¥ कहा जाता है ।
Bhagwat Geeta Saar
उससे मत डरो जो वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• नहीं है, ना कà¤à¥€ था ना कà¤à¥€ होगा.जो वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• है, वो हमेशा था और उसे कà¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ नहीं किया जा सकता.
Bhagwat Geeta Saar
अतीत में जो कà¥à¤› à¤à¥€ हà¥à¤†, वह अचà¥à¤›à¥‡ के लिठहà¥à¤†,जो कà¥à¤› हो रहा है, अचà¥à¤›à¤¾ हो रहा है, जो à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ मेंहोगा, अचà¥à¤›à¤¾ ही होगा. अतीत के लिठमत रोओ, अपने वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ करो , à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯à¤•à¥‡ लिठचिंता मत करो
(Whatever Happened In The Past, It Happened For The Good; Whatever Is Happening, Is Happening For The Good; Whatever Shall Happen In The Future, Shall Happen For The Good Only. Do Not Weep For The Past, Do Not Worry For The Future, Concentrate On Your Present Life.
DR.MAHADEV PRASAD
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